Short History
विक्ट्री इण्टर कॉलेज दोहरीघाट - मऊ भारतीय आन्दोलन का साक्षी व जनपद मऊ का गौरव है | क्षेत्र में विद्यालय का अभाव होने के दिनों में नौका से सरयू नदी पार करके विद्यार्थी बड़हलगंज पढ़ने जाते थे,लेकिन एक दिन विद्यार्थियों से भरी हुई नाव - दुर्घटना हो जाने से दोहरीघाट क्षेत्रवासी अचानक ही शिक्षा से वंचित हो गये | क्षेत्रवासियों के मन में एक तरफ़ अपने को पाल्यों को सरयू की अतल जल धारा में डूब जाने की आशंका सताती थी तो दूसरी तरफ़ शिक्षा से वंचित हो जाने का प्रबल दुख| ऐसे में कृष्ण - बलराम और राम - परशुराम की मिलन स्थली, दो हरियों के घाट दोहरीघाट में संकटमोचक बने तत्कालीन ऑनरेरी मजिस्ट्रेट श्रीमान मथुरा प्रसाद श्रीवास्तव |जिन्होंने जन-आकांक्षाओं को मूर्त रूप प्रदान करने का संकल्प किया और “उद्योगो नर भूषणः”की सूक्ति को चरितार्थ कर कठोर परिश्रम से दोहरीघाट से संबद्ध धनौली-रामपुर की धरती पर विक्ट्री हॉयर सेकेंड्री स्कूल को स्थापित किया | द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीय सैनिकों के सहायतार्थ एकत्रित विक्ट्री फंड से 20, हज़ार रुपये का धनोपयोग कर क्षेत्रवासियों के सपनों को साकार कर विक्ट्री हॉयर सेकेंड्री स्कूल को स्थापित किया गया |विक्ट्री फण्ड से निर्मित होने के कारण ही इस विद्यालय का नाम विक्ट्री हॉयर सेकेंड्री स्कूल हुआ | सन 1946 में हॉयर सेकेंड्री व 1954 में इंटरमीडिएट की मान्यता से इसका सौंदर्य संवर्धन हुआ |भारतीय आज़ादी के पहले का स्थापित होने के कारण प्राचीन काल से ही इसको अंग्रेजी स्कूल के नाम से भी जाना जाता है|
द्यो (सूर्य) + हरि (देवता) = दोहरी अति प्राचीन काल से सूर्य उपासना का केंद्र रहा है , रविवार को सरयू - सलिला में स्नान - दान, रामायण - पाठ व देवल देव के सूर्य मंदिर का दर्शन अति प्राचीन क़ालीन परंपरा आज भी यहाँ के धार्मिकों की दिनचर्या है | स्नान - दान के अतिप्राचीन पर्व कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहाँ महान भीड़ उपस्थित होती है |इस ही पर्व पर जनसेवार्थ व अपनी विशिष्ट शिक्षा के प्रसारणार्थ विद्यालय के अध्यापक और छात्रों ने प्रति वर्ष विद्यालय के प्रसिद्ध रंगमंच से नाटक प्रस्तुत कर धन एकत्रित किया,जिससे विद्यालय के कक्षा-कक्षों में निरंतर वृद्धि होती रही | आज भी विद्यालय के यशस्वी प्रबंधक स्वर्गीय रामानंद राय की पुण्य तिथि 5 दिसम्बर पर स्व0 रामानन्द राय स्मृति राज्य स्तरीय फुटबाल प्रतियोगिता का आयोजन क्षेत्रीय युवाओं के प्रोत्साहन का महत्वपूर्ण समारोह है |
पारम्परिक संस्कृतिजन्य शिक्षा, मर्यादा, नैतिकता, अनुशासन और शोधपरक नवाचारों हेतु प्रसिद्व यह विद्यालय आज भी सरयू की पवित्रता सरिस श्रद्धा और शिक्षा का अनुपम केंद्र है|